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Saturday, 8 August 2020

मौत -ए -जिंदगी

मौत -ए -जिंदगी ------

Sad female in theater costume with painted tear on cheekTearful eye of upset middle aged womanWoman with flying hair in summer parkWoman in White Turtleneck Shirt

मौत -ए -जिंदगी 

हाय, मैने तो सेल्फी  लेनी थी  खुदकी 

न जाने तुम्हारी तस्वींर कैसे उतर आयी?----- १ 

मैंने तो कब कहा था ,साफ इंकार भी किया 

किस मोड़ से आये तुम, दिल झंकार दिया?-----२ 

मैंने न तुम्हे सुना था , मैं तो डाली थी झुमके 

भ्रमर सी गुंजन तुम्हारी,किस रूह आयी शर्माके?---३  

मैंने न तुम्हे देखना था ,नजरें थी मेरी झिल्ली 

क्या धुंध उड़ाया तुमने , कैसी मैं खिल खिली------४ 

जबाब न मुझे देना था ,अधरों पर धरी  चुप्पी

अंदाज-ए- लबोमें तुम्हारे, मिसरी सी घुली छुंप्पी?----५ 

 न ही कोई अरमां था ,न कोई था मेरा आसमां 

अरमां औ आमां से परे,क्यों दिल्लगी तुमसे जान?----६ 

न जीने की फुर्सत थी , मरने की मोहल्लते दास्ताँ 

जिंदगी की वो मौत थी ,क्यों जीना हुआ शमशान?---- ७ 

गज़ल -- अड.  अर्चना गोन्नाडे

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Lonely house near snowy mountain slopeYoung woman on city street near tree

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