मौत -ए -जिंदगी ------
मौत -ए -जिंदगी
हाय, मैने तो सेल्फी लेनी थी खुदकी
न जाने तुम्हारी तस्वींर कैसे उतर आयी?----- १
मैंने तो कब कहा था ,साफ इंकार भी किया
किस मोड़ से आये तुम, दिल झंकार दिया?-----२
मैंने न तुम्हे सुना था , मैं तो डाली थी झुमके
भ्रमर सी गुंजन तुम्हारी,किस रूह आयी शर्माके?---३
मैंने न तुम्हे देखना था ,नजरें थी मेरी झिल्ली
क्या धुंध उड़ाया तुमने , कैसी मैं खिल खिली------४
जबाब न मुझे देना था ,अधरों पर धरी चुप्पी
अंदाज-ए- लबोमें तुम्हारे, मिसरी सी घुली छुंप्पी?----५
न ही कोई अरमां था ,न कोई था मेरा आसमां
अरमां औ आमां से परे,क्यों दिल्लगी तुमसे जान?----६
न जीने की फुर्सत थी , मरने की मोहल्लते दास्ताँ
जिंदगी की वो मौत थी ,क्यों जीना हुआ शमशान?---- ७
गज़ल -- अड. अर्चना गोन्नाडे
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bahut bhadia hai archana ji , ek dum appratim.
ReplyDelete👍
ReplyDeleteNice one
ReplyDeleteबढिया
thank s a lot kulkarni ... have a nice day
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