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Monday, 14 September 2020

बस भी करो अब।

बस  भी करो अब। .............


























बस  भी करो अब।

कितनी बेचैन हु मै यहाँ  ,कितनी बेबस हु मै 

परेशानियाँ झेलते झेलते अब थक चुकी  हु मैं। 

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जिंदगी में कितने झमेले है ,कहा है गिनती उसकी 

एक गयी तो दुजी आयी,कैसे संभाले सुलझाए कैसी 

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 जिंदगी तो चलते रही आहिस्ता,और हम भी चलते रहे ,

चलते चलते कहा भटके रहे , फिर कौन राह दिखाए

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जिंदगी के हसीं सपने बुने ,राह में हमने थे पिरोएं 

कितना सारा बवाल हुआ ,कैसे सब पीछे छुट  गए 

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जिंदगी को ढोते ढोते हाय ,सिर पर बोझ लाद लिया

कभी न उतरा बोझ कभी भी ,हम जिंदगी से हार गए 

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हे जिंदगी कितनी तक्क्लुफ़,कितनी कहानियाँ गढ़ती हो 

पन्ना पन्ना लिखते जाऊ ,मायुस अल्फ़ाज़ नहीं ख़त्म हो 

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 कुछ तो बाट लिया होता बोझ ,तो जिंदगी हलके चलती   

क्या मशवरा लेना किसीसे ,जबाब ए जिंदगी गले मिलती

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 बस करोअब हे जिंदगी, इस आशियाने का हिसाब किताब

 दया बक्श दो हे  खुदा प्रभो, जिंदगी के हम नहीं मोहताज़

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रचना ---ADV अर्चना गोन्नाड़े ARCHANA GONNADEhttps://kittydiaries.com/ 










  


 




 



 


 



 

 


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