मधुघट ------------------------------------
मधुघट --------
आरपार तुम्हारी मंद मुस्कान
अम्बर पार मेरी जान ए उड़ान
गहरी चालें ये ,दिल का पैगाम
हौले से सवारू जी लाल लग़ाम
नयन तुम्हारे लगे रिमझिम
नजर नजरें तीर चिर बाण
श्यामल नजरें देखे टिमटिम
ओज़ल नैनों मेरे बेबस प्राण
कोमल कर किंकिण कंकण
स्पर्श तुम्हारे रुखसत यौवन
लकीरें कुछ कहै मृदु संभाषण
फ़क़ीर करी क्या फिक्र निवेदन?
घटा सावरी ओ मुक्त पवन
लहराती गेसु ऐ मन मगन
बिजली सी अस्पर्श तन्मन
राहगीर गिरे दिन में सपन ?
कंचनमृग है यौवन जीवन
मोती बसै पर्ण बिच निर्मम
काहे ताके मधुघट मधुरिम
चितपट यौवन करू अर्पण
रचना ---adv अर्चना गोन्नाड़े
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