अमृता प्रितम। ....छोटी सी याद...
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अमृता प्रितम। ....छोटी सी याद...किसीने खुब कहाँ ,नाम में क्या रक्खा है ?
नाम से पहचान होती है। ..
अमृता प्रितम। ....
नाम में अमृत है। .. जिंदगी से प्रित है
बचपन में कथा कहानियां पढने का शौक। ..
ऐसेही कई कहानिया पढ़ी अमृतजी की । ..
पंजाबी में कथा कहानियाँ,उपन्यास उनके प्रसिद्ध है
नाजुक भावो को प्रकट कराती उनकी रचनाएँ। ..
सरहद पर लिखी गयी कहानियाँ,कविताये
जिन्दगी के तमाम पहलुओंको छूती है उनकी भावना।
कही कुछ पढ़ा था ऐसे। ...कुछ याद नहीं कहा पढ़ा है.....
साक्षात् ईश्वर ने कहाँ की , अगर मेरी (ईश्वर) तक़दीर लिखनी होती। ..
तो मैं अमृता प्रितम जी के हाथ लिखवाता। ..
सच बात है ,. खुद भगवान को भी उनको मोह हो गया। ..
सर्वोच्चः साहित्यिक पुरस्कार,ज्ञानपीठ पुरस्कार
उन्हें प्राप्त हुआ ,सम्मनीत किया गया। ..
एक असाधारण व्यक्ति के आर्शीवाद लेना
कितनी सौभाग्य की बात। ..
ऐसाही सौभाग्य मुझे मिला ,उनसे मिलनेका। ..
लगभग १९८७ की बात है। .
नागपुर में कोंग्रेस पार्टी के विधयक
इनका कुछ जन्मदिवस का समारोह था
नागपुर के पंजाबराव देशमुख हॉल में। .
मैं अपनी माँ के साथ वह गयी थी। ..
हॉल पूरा सजाया गया था। .. फूलों से। .
मंच पर चार छे व्यक्ति थे। .. कुछ मेहमान। .
उस समारोह की प्रमुख उपस्थिति थी। ..
अमृता प्रीतम और उनके दोस्त इमरोज़। ..
कार्यक्रम बहुत देर तक चला। ..
बहुत कुछ अभी याद नही .
मैं भी कुछ बीस बाविस साल की
बहुत समझ न थी मुझे। ..
छोटासां कद,सलवार क़मीज़ डाले हुये
अमृताजी मंच पर विराजमान थी
अमृताजी का भी भाषण हुआ। .. प्यारा सा।.. ..
बस कार्यकम पुरा होना ही था। ..
माँ ने मुझसे कहाँ। .. चलो,तुम जाओ मंचपर
मिलके आओ अमृताजी से। ...
हस्ताक्षर भी लेना। .. डायरी लायी हो नं...
मैंने आव देखा न ताव ,झटसे चढ़ गयी मंचपर। ..
उनके पैर छुएं और मेरी डायरी उनके सामने रख दी। ..
मुझे हस्तक्षर चाहिए आपके ।. मै बोल पड़ी
उन्होंने मेरा अपने हाथो में लिया। ...
डायरी में हस्ताक्षर करके मेरे हाथोंमे थमा दी...
संभल के रखना बीटा, खुब पढ़ना। ..
मैं मंच के निचे आयी ,माँ के पास। ..
माँ को ऑटोग्राफ दिखाया। .. माँ खुश। .
भगवान का दिल जिनमे बसता हो। ..
ऐसी प्यारी व्यक्ति ने मेरे हाथ थामे थे। .
क्षणभर के लिए। ..कुछ सुगंध मेरे हाथो में लगा हो
वही महक लेकर मैं आगे चल रही हु। ..
चार शब्द लिख पा रहीं हु । ..
आशीर्वाद में ,दुवाओ में ताकद होती है। ..
सब कुछ पलट देने की। ..ठीक करनेकी। ..
कई साल बीत गए इस घटनाको। .
आज महसूस होता है ,
कितनी महान व्यक्ति से मै मिली थी
दुर से देखती हु। .. बड़ा सुकून लगता है। ...
मैंने हाथ मिलाये थे अमृता जी से। ....
पुरानी डायरी मैने प्यार से सँजोये रखी हैं....
कुछ सुनहरी यादें है। ... अमृताजी भी हैं। ..
प्यार का गुलदस्ता उनके लिए। ...
प्रणाम। .. शतकोटि प्रणाम। ... https://kittydiaries.com/
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