मेरे तो गिरधर गोपाल -----

मेरे तो गिरधर गोपाल -----
मीरा को न देखा कभी मैंने
शायद किसीने देखा हो सपनोंमे। ..
महसूस किया हो मनमें। ..
मीराबाई के भजनों को सुना है
बड़े भावभक्ति से ,मृदुल भाव से
मीरा के भक्ति का गुणगान करते ,
मन कभी थका नहीं ,हारा नहीं ,
सुनते सुनते मन हरा हो गया ,
गहरा रंग चढ़ गया मन में
तल्लीनता में आभास मीरा का
मीरा तो थी कृष्ण भक्त
कृष्णजी दैवत मीरा के ,
खानपान कृष्णा ,भजन कृष्णा
मन कृष्णा ,तन कृष्णा
ऋण कृष्णा ,तृष्णा कृष्णा
कैसे मीरा का चलन ..
कैसी भक्ति मीरा की ..
मन में बसे भगवन फिर कैसी चिंता
बस मै गऊ गुण मेरे भगवन के
चिंतन करू कृष्णा के ,मनन करू कृष्णा के
मीरा नाचती है ,मीरा नचाती है
कृष्णा भी नाचते है ,तल्लीन होकर। .
मीरा के घेरे में कृष्णा आये ,कृष्णा मीरामय हो गये
कृष्णा तो कृष्णा थे भगवन,भक्ति के प्यासे भगवन
मीरा दिवानी भी हुई कृष्णमय ,
नाचे रोमरोम कणकण अंतर्मन
मीरा ओ कृष्णा ,कृष्णा ओ मीरा
भक्त की भक्ति से रिसती हुई पुकार
भगवन को सिंचति हुई रसभरी भक्ति
मीराबाई ने ठान ली
मीरा के तो गिरघर गोपाल।
दुसरो न कोई ..
अतूट प्रेम अतूट भक्ति लल्ला से
कुछ भी न चाहा मीरा ने ...
बस एक ही नाम ,कृष्णा कृष्णा कृष्णा
रोमरोम में। अंतःकरण में ,अनंत में
विषैला प्याला भी कृष्णनाम में समां गया
भगवन भी कुछ न कर पाया ,
भक्त से भगवन का नाता ,
भगवन का भक्ति से रिश्ता
भगवन भक्त में छाए गए ....
आत्मा परमात्मा में समां गए
भगवन से भक्त का मिलाप
संसार में प्रेम का यही सुंदर आभास। ....
लेखांकन --- adv अर्चना गोन्नाड़े archana gonnade



Nice
ReplyDeletethank you so much... do share with friends thanks
DeleteApratim, khupach sundar
ReplyDeletethanks a lot MR. Milind chimurkar...
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