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Thursday, 30 July 2020

मै पाँखि ----पलछिन। .

05:12 0 Comments
मै पाँखि  ----पलछिन। .

adv अर्चना गोन्नाड़े 
मै पाँखि  ----पलछिन। .
सुरज  ने अपनी प्रभा चारो ओर बिखेर रहा 
सुनहरी लालिमा से पूर्व दिशा प्रकाशित हो रही 
हौले हौले पशु पक्षी जाग रहे थे 
सुमधुर किलकिल पंछियोंकी सुनाई दे रही 
पेड़ोपौधो  में कुछ हलचल हुई
मंदिर में पूजा पथपाठ के स्वर सुनाई आ  रहे
मैं जग गयी सुबह सवेरे। .. 
मेरा घर तो 
पुर्व दिशा में खुलता 
खुला खुला आसमां  
रोज यह दृश्य देखती हु।अनुभव करती हु  .. 
मन में कही ठहर सा जाता है।
यह दृश्य प्रभात समय का।
बस चाय की प्याली हाथ में थामे 
टेरेस पर सटे कुर्सी पर बैठना
मुझे अच्छा लगता हैं।
छोटे छोटे गमलों मैंने पौधे जो लगाए
अपने घर आंगन को सजाया है
भिनी भिनी खुशबु से मै भी महक उठती हु... 
मै ओर मोहक लगती हूँ। .. 
आज भी सुबह सवेरे  निंद से ऐसेही जग गयी 
टेरेस पर आ गई।
पुनःश्या वही दृश्य मन को भा  गया 
अनायास ही मेरे हाथ समिट गए.. 
प्रातः वंदन के लिए.
बस एक पंछी आकर डाल पर आ  गया 
जैसे झुला झुला रहा हो 
पौधे के एकदम ऊपरी डाल  पर झुल  रहा
हाथोमे मोबाइल न था 
                                                 वह मैं  देख रही adv अर्चना गोन्नाड़े                                    
क्षण,मन तो बद्धः हो गया 
मई मोबाइल लेने जाऊ तब ये रहे या नहीं 
किन्तुु परन्तु बहोत थे 
दौड़के मोबाइल लिए पहुंची टेरेस पर 
पाँखि वही था ,झुला झुले
झपक से बस दो चित्र  ले पायी 
मन हुआ मेरे भी पलछिन 
पाँखि सी मई भी विहार करू गगन में 
झुला झुले मस्त पवन के झोंके  में..
जिंदगी हो मेरी पंछी  सी 
बद्ध न करो इस पिंजड़े मेँ... 
दशदिशाओँ में घुम आउ
तुम आ यदि,नजारोमे तो कहीं 
थोड़ा ठहर जाऊ
थोडासा ठहर जाऊ।
रचयिता। ... adv अर्चना गोन्नाड़े 
चित्रछाया----adv अर्चना गोन्नाड़े




Wednesday, 29 July 2020

-----शुभ प्रभात -

04:42 2 Comments
-----शुभ प्रभात---शुभ प्रभात ------ADV.अर्चना गोन्नाड़े 
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Silhouette Image of Person Praying
White Ceramic Mug With Brown Liquid

https://www.pexels.com/video/couple-having-breakfast-and-talking-4107562ADV.अर्चना गोन्नाड़े /
शुभ प्रभात 
सुबह की बेला 
आज प्रसन्नसा हो रा मन
ऐसी प्रसन्नता पाना शायद कोई ईश्वरी कृपा ही है  
स्वर्णिम सुबह की बेला में मन शांत हो...  
कोई ईश्वरी आशीर्वाद  से कम नहीं है...
जो बेफ्रिक होकर चैन की निंद सोये
शायद  भगवान खुद उसे सुलाता है 
उसके लिए लोरी भी गाता है। .प्यारी प्यारी 
अखियों में  निंद चुपचाप आ जाती है। ..
छोटी बच्चोंसी निंद  कितनी गहिरी 
न कल की चिंता है, न आज की, न आनेवाले कल की 
हम क्युँ उलझै  है इतने काम में। .. 
हमें किसीकी भी याद न आती आजकल। .. 
हम अपने में क्यों इतने खोये से। ..
काम करना हमें अच्छा लगता है 
बिझी रहना अच्छा लगता। . 
काम क्यों क्या इतने गले लगाना।।
जो अपनापनही भुल जाये।।
          हमदर्दी भुल जाये।।ADV.अर्चना गोन्नाड़े 
 हमसफ़र भुल जाये। .. और तो और 
भुलाता तो कोई नहीं है... 
याद करने के लिए समय नहीं
मिलाने के लिए. बात करने के लिए
समय है ही नहीं। .   
भुलाने में और याद करने में  
बस जमीं और आसमां का फर्क है। ..
हर काम में  हम कितना उलझे। ..
इसका पीछा कभी  न छुटे। . .
याद भी कर लो कभी अपनोंको।। 
जो पीठ पिछे खंजर नहीं डालते। .
अपन्नोंसे  बातें शाते होंगी। .
 मेलमिलाव होगा। हसिमजाक होंगी।।।  
जिंदगी का जायका ओर  मिठा होगा। .. 
किसीका नमकीन भी होगा
              खुशनुमा होंगाADV.अर्चना गोन्नाड़े  
चाहे जैसे मोड़ लो खुदको। .. 
खुदा भी आपको प्यार करने लगेगा।
प्यार जताने लगेगा खुदा भी। .. 
बस थोड़ा सब्र कर लो... 
सुकून की नींद आपको भी नसिब होंगी। .. 
मिठी मिठी नींद आपको भी आएंगी
सपने आप भी सवारोंगे। .
 फिर नई सुबह होंगी। ,
ADV.अर्चना गोन्नाड़ेमन प्रसन्न होंगा। . 
 आप और आपकी सुबह प्यारभरी  होगी।।। 
रसभरी होंगीं।।
-----शुभ प्रभात ----
लेखांकन ----ADV.अर्चना गोन्नाड़े 

Woman With White Headset Drinking Coffee

ENGLISH TRANSLATION BY  GOOGLE APP 
Good morning
In the morning
FEELING VERY HAPPY TODAY  
Finding such happiness is probably a divine grace
May the mind be calm in the golden morning ...
No less than a divine blessing ...
Who slept peacefully without fear
Maybe God Himself puts him to sleep
Lori also sings for him. .Sweet lovely
Sleep comes quietly in the eyes. ..
How deep the slander of little children
No worries of tomorrow, no worries of today, no worries of tomorrow
Why are we so busy? ..
We don't miss anyone these days. ..
Why are we so lost in ourselves. ..
We love working
It feels good to be busy. .
Why work so much hugging.
Who forgets his own ...
 Forget empathy ...
 Forget the companion. .. and so on
No one forgets ...
No time to miss
To mix. To talk
There is no time. .
In forgetting and remembering
There is just a difference between land and sky. ..
How tangled we are in every work. ..
Never miss it. . .
Remember your loved ones.
Who do not put daggers behind their backs. .
Talk to you soon and keep up the good content. .
 There will be reconciliation. Will be funny
The taste of life will be sweet. ..
Someone will have snacks too
Would be nice
Take turns as you please. ..
God will love you too.
God will also begin to show love. ..
Just be patient ...
You will also get a good night's sleep. ..
Sweet sweet sleep will come to you too
Dreams will ride you too. .
 Then there will be a new morning. ,
The mind will be happy. .
 You and your morning will be loving ...
Will be raspberry.
----- Good morning ----
BLOG WRITE UP---ADV. ARCHANA GONNADE
  
 


Tuesday, 28 July 2020

पिरतीची परिणीती परिणयांतं होऊ दे....

02:27 0 Comments

पिरतीची परिणीती परिणयांतं होऊ दे,,,,,,,
पिरतीची परिणीती परिणयांतं होऊ दे,,,,,,,     
Monochrome Photo of Girl CryingBrown Sand
पिरतीची परिणीती परिणयांतं होऊ दे,,,,
Top View Photo of BeachSeashore
Photo of Woman Walking On Seashore
पिरतीची परिणिती परिणयातं होऊ दे  
आकाशांतं बिजली कडाडुन गेली,ADV .अर्चना गोन्नाडे
लख्खकन प्रकाशांत सागर उजळुन निघाला .. 
दर्या आज फारचं  उफाणला होता ... 
लाटांवर लाटा किनाऱ्यावर येऊन धडकत होत्या .. 
किनाऱ्या वरच्या वाळुत विरून जात होत्या 
पाऊस ,मुसळधार पाऊस केवढ्यानं कोसळत होता .
पाऊसांन थैमान मांडलं होतं ... . 
रातीच्या गुप्प अंधारात काय दिसतही नव्हतं ... 
चिडीचुप्प फक्त जलधारा  पाऊसधारा 
एकामागुन एक उठण्याऱ्या  सागरलाटा.. 
अन मधुनंच तळपणारी,कडाडणारी बिजली ...
असा तिनताल जुळून आला होता .ADV .अर्चना गोन्नाडे. 
निसर्गाच्या संगीताला घुमारा फुटला होता ... 
त्या काळोख्या रातीला उभी होती कोवळी परी .... 
भर  पा -व- सां- त- ,वयाचं उन्नीस बीस नुकतचं सरलं असावं 
तिच्या नखव्यानं नावं घातली होती उफाणत्या  समुद्रातं  ... 
त्याच्या वाटेकडे तिचे डोळे लागलेलं ..
कंठातलं प्राण डोळियांत दाटलेलं ...
मुसलधारांत ती कुठं कोरडीADV .अर्चना गोन्नाडे .... 
ओलीगच्च किनाऱ्यावर उभियं..
भान हरपुन ... कुठे आडोसा तिथं ?
तिला आठोतो तिचा सखासाजणा .फक्त सखा ..
लाटांशी खेळणारा ,लाटांवर स्वार होणारा .. 
दर्यादिल साजण ...दर्याला कवेत घेणारा .. 
तिला आठवंतय आठवतेय,मन अस्वस्थ झालाय  
त्याच्या गुजगोष्टी, घेतलेल्या आणाभाका...
त्याचं गळ्यांत पडणं ,त्याचं गोडं हसणं ..
त्याचं धसमुसळंणं अंगाशी ,तिला भार्री आवडायचं  .
तेवढ्या रातीतुन यायचा तो जशी  धुन लागलिया ... 
धुन ,बेधुन्द प्रेमाची धुन ....
त्याच्या संगती ती पुनवेची रात ...
त्याच्या गोडिल्या गोडं गोडं बात 
गोडं सुखावल्या आठवणी .. 
पाणी पाणी झालंय जीवाचं ... 
दिलाचं तुफ़ान,उफ़ान ...  
पापणीच्या किनारी विसावलं ... 
पण हाय आता कुठाय तो .?....
कुठे एवढ्या अथांग समुद्रांत शोधु त्याला ... 
हाय दैवा ,कुठंय कुठंय माझा दिलवरं  
दिसत नाहीये ...दिसतं नाहीये दुरवर ... 
बघ सागरा, माझ्या भावा, आणं त्याला शोधुन ..
आता तर दिसतंच नाहीये ,
अरे ,तु आवाज दे ना... बघ जरा हिकडे ... 
असा ना इथंच कोठे ...ADV .अर्चना गोन्नाडे
अस्स रडऊ नकोसा,जा,आणं ना माझ्या वेड्याला शोधुन ... 
प्राण माझे पाखरूं झालंय ,मी केव्हांच पोचलेय त्याच्याकडे ..
आता दोघांचे कलेवर एक होतील ...
सावर सावर रे ,मला नि माझ्या वेड्याला 
पुढचा जन्म सागरा परत तुझ्याचं 
किनारी मागेंनं रे भावा ...
निरोप घेते भावा तुझा आता ...   
तुझ्याचं साक्षीनं प्रीती उमलु दे ...  
पिरतीची परिणीती परिणयांतं होऊ दे....   
झप्पदिशी मोठ्ठासा आवाज अन 
निघुन गेली ती परी,आपल्या वेड्याजवळ ... 
गतप्राण ,होऊन ....
पिरतीचं खुणा उमटल्यातं दर्याच्या हृदयी ......
लेखांकन - ADV .अर्चना गोन्नाडे

Monochrome Photo of Girl Crying.Bird's Eye View Of Sea During DaytimeRed Hammock Tied Between Two Trees
translationn by GOOGLE APP 
let my love turn into wedding 
Lightning struck the sky, ADV .Archana Gonnade
The sea shone brightly ..
The river was very hot today ...
The waves were crashing against the shore.
The shores were passing through the sand above
Rain, torrential rain was falling.
It was raining.
I couldn't even see in the silent darkness of the night ...
Chidichup is just a torrential downpour
One rising sea wave after another ..
Lightning flashes from the sky ...
It was a great day .Adv .Archana Gonnade.
Nature's music was in full swing ...
Kovali Pari was standing on that dark night ....
In addition, the age of nineteen and twenty should have been simple
Her nails were named after the boiling sea ...
Her eyes were fixed on his path ..
The soul in the throat is thick in the eyes ...
Where is the dry ADV in the torrent. Archana Gonnade ....
Oligachch standing on the shore ..
Bhan Harpun ... Where is Adosa?
She remembers her friend. Only friend ..
Playing with the waves, riding on the waves ..
Daryadil Sajan ... the one who embraces the river ..
She remembers the memory, the mind is restless
His gossip, taken motherhood ...
Falling on his neck, smiling sweetly ..
She loved it.
It used to come through so many nights as it started to tune ...
Tune, tune of unconditional love ....
That reunion night with him ...
His sweet sweet talk
Sweet memories ..
Water has become water ...
Storm of the heart, boil ...
The edge of the eyelid rested ...
But hi, where is he now?
Where to find him in such an endless sea ...
Hi God, somewhere in my heart
Can't see ... can't see in the distance ...
Look, Sagara, my brother, let's find him ..
I can't see it now,
Hey, don't make a noise ... look here ...
This is not the case here ... ADV .Archana Gonnade
Don't cry, go, come and find my madman ...
My soul has become a bird, whenever I reach it ..
Now the two will become one on art ...
Savar savar re, me and my madman
The next birth is yours again
Kinari magennam re bhava ...
Goodbye brother now ...
Let your witness love ...
Let the result be the result ....
Zappadishi loud no
The fairy who passed away, near your madman ...
Gatprana, houn ....
The heart of the river when the mark of Pirti is found ......
Accounting - ADV .Archana GONNADE Grayscale Photo of Person Standing on Seashore




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कोण   


 
 

 
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Saturday, 25 July 2020

पर्जन्य बीज .. पर्जन्य बीज .. ------------------------------------------------------------

07:49 0 Comments
पर्जन्य बीज .. पर्जन्य बीज .. 
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Person Holding A Green PlantShallow Focus of Sproutपर्जन्य बीज   ऍड .अर्चना गोन्नाडे                                                    पर्जन्य बीज .. -Man Planting Plant
Three Black-and-white CowsRed Barn
पर्जन्य बीज .ऍड .अर्चना गोन्नाडे 
नेमेचि येतो मग पावसाळा ...
ऋतुचक्र फिरत असतं,फिरतं असतं ... 
नावीन्य लेवुन ऋतुं येतं असतो...  
पर्जन्य,पावसाळा साऱ्यांच्या प्रेमाचा... 
उन्हाळ्याच्या झळा सोसुन सारे हैराण झालेत ... 
वणव्या सारखं जणु पेटत होतं ...
अग्निवृक्षच चौफेर फुलला होता ..
दाहिदिशांतं आदित्यराज  राज्य करत होता ... 
पर्जन्याची प्रतीक्षा होती ..ऍड .अर्चना गोन्नाडे .
पण दिसनंदिस तीच प्रतीक्षा ,किती वाट पाहायची .. 
येणार कसा पाऊस ...?
पाऊस असा काही एकदम पडत नाही ... 
पाउसाचीही मशागत करावी लागते ... 
बीज पेरंल तर झाडं उगवणार ... 
जसं  बीजॅ  तसं झाडं ... 
पण कुठल्याश्या भुमीमध्ये ते रुजतं ...
आणि गर्भारलं बीज अंकुरतं ... 
मशागत आणि संवर्धन खुप महत्वाचं ... 
जमीन तयार करा ,मशागत करा .. 
बीज रुजवा ,संवर्धन करा  संरक्षण करा 
वाढावा ... फळे फुले वाटा ,गोडं गोडं करा
पावसाचं बीज पण असंच पेरावं लागतं...
पावसाचाही बीज असतं ,
त्याशिवाय का तो वाऱ्यावर झुलतो फुलतो  
इवलाले बीज जेव्हा बळीराजा पेरतो ...
बळीराजा रोज त्यांचं सिंचन करतो ... 
प्राणवायु मिळावा बीजांना म्हणुन ... 
खुरपणी करतो ...आळ  धरतो  त्याभोवती ..
सुंदर सुर्यप्रकाशातं झाड चमचमतं ... 
जशी बाळाची काळजी  घेतो तसं 
तशीच काळजी असते ,शेतातल्या उभ्या पिकाची .. 
डोळ्यातं तेल घालुन संवर्धन करतो ,रक्षण करतो ... 
फुलं फळांवर पीक आला कि  त्याच्या  आनंदाला पारावार नाही ... 
हो है ,हो है म्हणुन गीत आळवायला लागतो ..गातो . 
निसर्गाचं दान पदरांत घेतो ..
तृप्त होतो ...
पावसाचं बीज 
धो धो पाऊस कोसळतो... 
डोंगरं दऱ्यावर पाऊस कोसळतो ... 
डोंगराचे पार छिलके उडतात .. 
तोडून फोडून टाकतो पाऊस  दगडालाही ..
पार  ठिकऱ्या ठिकऱ्या उडवतो 
पाऊसचं  पाणी ,वळणावळणांनी  
नदी नदी मध्ये  वाहत येते पाणी ..... 
पाण्यामध्ये सारे जीवनसत्व घेऊन नदी धावत असते ...
बीज अंकुरण्या करीता सारे पोषणमुल्य असतात त्यात....
पत्थरातील सत्व पाण्यांत झेपावते ..
धरणीमाय सगळं पाणी रिचवुन घेते .. 
तिच अमृतधारा बीजाला सिंचन करते ... 
बीज गर्भरते  अन अंकुरते ... 
इवलेसे रोपटे लावियले द्वारीं 
तयाचा वेलू गेला गगनावरी ....
छोटसं रोप , मोठ्ठ झालं ,फळाफुलांनी  समृद्ध झालं  
संवर्धन आणि संरक्षण बीज पेरण्यार्यांनी करायचं ... 
मग फळाफुलांच मालिक तोच ... एकमेव ... 
सार्थक झालं श्रमाचं त्याच्या ... 
श्रमाचं बीज जास्त ओजस्वी तेजस्वी ... 
अन दिमाखात मिरवत ..
पुन्हा सहस्ररश्मी तापणार ..
पानफ़ुलं  झाडंझुडपं सारेच कोमेजणार... 
नदी नाले आटणार , सृष्टी करडी होणार ...
वारा ही तप्त ज्वाळा घेऊन वाहणार ...
गर्भारलेली धरा पुनश्च्य रिती होणार ...
कोरड्या मनांवर ओरखडे उठणारं ... 
भेगा पडणार धरेला....ऍड .अर्चना गोन्नाडे   
अतृप्तेचं प्याला घेऊन ,वेदानेची ज्वाला घेऊन 
अगतिक धरा पुन्हा वाट बघणार ,.. 
आपल्या प्राणसख्याची...जिवाभावाची  
प्रियजनांची काळजी वाहायला 
आनंदघन बरसल्याचं  हवेत ...
सुर आसमंती निनादायलाचं  हवेत ...
पावसाचं ,पर्जन्याच बीज काठोकाठ भरायला हवं ..

Lightning and Gray Clouds
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Friday, 24 July 2020

बी कॅलक्युलेटीव्ह-----असं जगता तें येतं का ?

02:16 0 Comments
बी कॅलक्युलेटीव्ह-----असं जगता तें येतं का ?
Love Your Life Clipboard DecorToddle Wearing Gray Button Collared Shirt With Curly HairCrop anonymous accountant using calculator app on smartphoneWhite and Black 2020Multicolored Abacus PhotographyChess Piece

बी कॅलक्युलेटीव्ह-----असं जगता तें येतं का ? 
आयुष्य हे एक कोडंचं वाटतं मला....   
असं कोड्यातच सारं आयुष्य जगायचं का ?
खुप सारे प्रश्न यावे लागतात जीवन फुलवायला ... 
खूप प्रश्न असतात अनुत्तरित ... 
कायम कोड्यात टाकणारे ... 
इतकं सारं  सोप्प नाही जीवन .. 
परंतु आपण जाणतो  तितकं कठीणही नाही ... 
एक जीव जन्माला नाती  ही  जन्मतात .. 
आयुष्याच्या  वळणावर किती लोकं  भेटतांत ... 
जीवन प्रवासात  कितीसे लोकं लक्षात राहतात.... 
कोणी किती लाडवलं ,कुणी किती कौतुक केलं . 
कुणी मला साथ दिली ,कुणी दिली नाही .. 
कुणी किती अपशब्द बोलले , कुणी किती श्राप दिले...
कुणी मान दिला ,कणी अपमान केला ..
किती वाद झालेत ,किती संवाद साधलेत ... 
मनातुंनं मनासारखं, जगायला जमेल का?
सुखसंवाद नात्यातला जवळ आणेल का ?
आयुष्य जमेल का असं जगायला? 
आयुष्य  वाटतं फार कॅलक्युलेटिव्ह झालायं ...
हे त्याला मिळालं  ,मला पण हवंच ...
त्याला ते मिळालं .मला पण हवंच ...  
हा कसला अट्टाहास .हा कसलं हव्यास 
बरोबरी करण्याचा , चढाओढ करण्याचा...
आयुष्य छोटं आहे ,सुंदर करायचंय ...
छोटया छोटयाश्या कृती  मधुन आनंद पेरायचायं 
आपल्या कृती मधुनचं अमृतधुन उमटायला हवी.. 
संवादाची माया जपायला हवी ...   
 पाप किंवा पुण्याचा प्रश्न नाही ...
 सुखदुःखाचा ओझं वाहायचं आहेच .. 
पण आपल्या माणसांची साथ असेल तर ... 
दुःखाच्या झळा जाणवतं नाहीत ,कमी होतात
सुख ऐसपैस अन शतगुणित होतं, वाटतांना..
हाताचं काय राखायचं ,काय धरायचं... गणितासारखं 
सारेच कसे गणितज्ञ वाटतात मला .... . 
आयुष्य वाटतं फारचं कॅलक्युलेटिव्ह झालायं.... 
गणितं फार समजुन घेतलं तर समजत... 
अन्यथा नाही ,नाही समजलं तर
 गुंता अधिकच वाढत जातो .. 
अन उत्तर येतं नाही ,
आलं तर चुकलेलं असतं .... 
कुठं मांडणी चुकली असते .. 
कुठे सुत्र चुकली असतात...
कुठे नजरचुक झाली असते
अधिकच्या जागेवर उणे जाऊन बसते .. 
उणे करायचे तिथे अधिक हौसली असते ...
उणे अधिक करता करता काहीच कळतं नाही.... 
गणिताचे फासे काही पदरांत पडत नाही ... 
गुणाकार कुठं असावा ,नात्यामध्ये प्रेमामध्ये .... 
किती पटींनी वाढवायचा हे आपल्या हातात असते . 
कितीही प्रयत्न केला तरी नेहमी भागाकारच दिसतो ... 
एक तुकडा मला ठेव  ,एक तुकडा तुला ठेव ... 
अशीच काटाकाट  विभागणी होते ....
जन्मदाते मायबाप  ह्यातुन सुटले का वाटतात? 
आईबाबा ,भाऊबहिण ,सख्खी नाती दुरावतात....
गुणाकार लपंडाव चा खेळ मांडतो .. 
भागाकार  पटकन पुढे होतो ...
चटकन घाव घालुन  जातो, हलुन  जातो...   
जगुन काय करणार खुप खुप आयुष्य 
आयुष्य देवा छोटं दे ,सुंदर दे ..
आयुष्याला अर्थ दे .... .
आयुष्य वाटतं फारचं कॅलक्युलेटिव्ह झालायं .... 
बी कॅलक्युलेटीव्ह-----असं जगता तें येतं का ? 
लेखांकन ...ADv . अर्चना गोन्नाडे



 
 













     


















Monday, 20 July 2020

चातकाची काय मजालं

04:01 1 Comments
 चातकाची काय मजालं -----
Water Drop at the Tip of a Leaf
Blue and Green Peacock on GrassWoman in White Shirt With Green Background

Peacock Closeup Photography
चातकाची काय मजालं 

पाऊस तो आजही मनामध्ये आठवतोय 
पाऊस तोच आजही मनांतुन झंकारतोय 
तरंग  पुन्हा  तेच ते  अंतरंगी नांदतोय 
स्पर्श तेच नव्याने मीच पुन्हा उजळतोय

 मीच ओलेती पुन्हा पावसात निथळतेयं 
हसुन मी पुन्हा पुन्हा पाऊसपाणी झेलतेयं 
पावसाची कोपरखळी  गाली बघा ओघळतेयं 
पाऊस तोच नव्याने पुनःकिती गहिंवरतोयं 


पाऊस अताशा हाय लक्ष्मण रेषा रेखतोयं 
रेष रेषा ओढुनी पुन्हा बघा खुणावतोयं ... 
मनी  बघा कसा पुन्हा मन मयुर डोलतोयं 
लक्ष लक्ष दीप पुनः पाऊलखुणा शोधतोयं 

पाऊसाचे रंगढंग सारेच मीच  जाणतोयं 
रंग ढंग सोसुनी मी पाऊसात पोळलोयं 
पुनःश्च ते रंग ते  ढंग कणकण वेचतोयं 
वेचल्या पाऊसात पुन्हा मधुशाला स्पर्शतोय... ..

  
पाऊस तोच मी पुनः पिऊन पिऊन झिंगतोयं 
सुखावल्या गारव्यात पुन्हा आकंठ  मी  डुंबतोयं 
चातकाची काय मजाल हर मृगात तृप्ततोयं...   
नक्षत्रांच्या नीरधारांतं पुनः उभा जन्म जाळतोयं ... 

रचियता ---एड अर्चना गोन्नाडे 


Woman Using Umbrella With Lights









 
 







 



 
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