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Friday 26 March 2021

03:05 0 Comments

होली के जीवनरंग। ...... 

बचपन की वो प्यारी होली। .. कैसे यादों से निकलती। .. 

जमकर रह गयी  यादें। .. थोड़ी परते चढ़ गयी। .. 

आज जला रही हु मैं  वो चढ़ी हुई परते। .. 

आज होली  फिर मना रही वही बचपन की यादें। .. 

कोई भैया ,लाडली बहना सुबह सवेरे जगती । . 

अरे चलो होली खेले ,हाथ पकड़े खींचती .. 

चलो तैयार हो जाओ ,पुराने कपडे पहनाती। .. 

सारे अंग में तेल मसल मसल कर लगाती। .. 

माँ भी सिर तेल डालती ,खुप चपक चपक चौपड़ाती। .. 

कोई काका मामा हमें पिचकारी हाथ थमाता। .. 

कोई पिचकारी में रंग सूंदर  भर देता। .. 

सबसे छोटी मैं  गुलाल से रंग जाती। .. 

बड़े ,छोटे सभी साथी  मेरी पप्पी ले लेती। .. 

छोटे छोटे मेरे हाथ पिचकारीऔर  कसकर पकड़ते। .. 

कोई देखे नहीं पिचकारी,  उसे  फ्रॉक में समेट लेते।

पिचकरी दबक जाती , और छिपाती मैं  उसे अपने फ्रॉक में । 

पिचकारी खाली  हो जाती , सब रंग मुझपर  छलक जाते। .. 

मै भी रंगमेँ  रंग जाती , कोई हॅसते  मुझे ,कोई चिढ़ाते। ..

मैं थोड़ा नाटक करतीं,,रट रट  के रोती  गला  फाड़के।

माँ फिर दूसरे फ्रॉक पहनाती ,रंग  पोछे देती 

माँ फिर गले लगाती ,मैं हसती ,

निकल फिर जाती हु  रंग खेलने , रंग रंगने।


यौवन का रंग कितने नाजुक ,कितने गहरे। .. 

गौरवर्ण में खिलती रक्तिम लालिमा गालोंपर। .

गुलाब पंखुडियों सी  गुलाबी अधर  

कोई नागिन सी लहराती चमक  गेसुओंपर 

कजरा कारा सुन्दर भाये नयनोंपर  

यौवन  है रंगशाला ,रंग में खिलखिलाती कंचन काया।

यौवन है  रसशाला , रसरसती  काया  की मैं छाया।

मन में लहरता सपन्नो का साजन आये तो मुझसे छुपकर  

 हाय  रसिया, साजन ,बालम, आये हाथों में गुलाल लेकर। .

किस रंग में रंग  जाऊ  प्रियतम ,सिवा प्रेम रंग छोड़कर। . 

 बालम के रंग  रंग  में  यौवन जुलता जाये।

 मैं  चाहु कोई मुझे आलिंगन में ले।और अपने रंग में रंग रंग दे 

अपने  रंग में , प्रेमरंग में ,मोहे भी रंग दे 

यौवन है रंगशाला ,यौवन है  रसशाला , यौवन है मधुशाला 

रंग  दे साजन मोहे , राधा रानी सा ,राधा के  अंतरंग सा । ..



जीवन रंग बड़ा सुनहरा वृद्धत्व  की ओर चला। 

 बालोमे चढ़ गयी चांदी। .ऐनक का रंग सुनहरा 

 कितने रंग चढ़े ,कितने उड़ गए ,कितने बच गए। ... 

मन वृद्धत्व में  गिनती करे। फिर लगता ऐसा,  मुझे भी रंग लगाए कोई  

अब नाती पोती मुझे  गुलाल से रंगते  ,पैर छूते , और प्यार से पप्पी लेते। . 

खुप मिठाई ,खुप जिलेबी ,  कचौड़ी और गुझिया खिलाते। ..

अब होली के लिए मै शॉपिंग भी करता 

अब रंग खेलने नए  सफ़ेद कपडे पहनता ,

रंगबिरंगे मेहमान देखो, आते जाते 

हरा पीला काला लाल चमकीला और मै चमकता हु सफ़ेद कुर्ते मे । . 

फिर वही मिलना जुलना ,गले लगाना ,रंग लगाना ,गुलाल लगाना। .

यारों ,दोस्तों के बीच हास्य रंग में उलझ  जाना , ठहाके लगाना। .. 

ये सब तो होता ही है ,फिर कुछ पिछे छूट गया क्या ,ख्याल आता है। ..

फिर हसींन ,रंगीन  यादें छलकती , वृद्धत्व  पिछे हट  जाता। ..

रंग रंग में  प्रिया  तुम्हारे ,मन हरा हो जाता 

इस जिवन चक्र में जिवन रंगीन हो जाता , 

फिर हरा हो जाता। और गहरा हो जाता। .. 

 मैं फिर बचपन और  यौवन सा रंगीन हो, जाता रंगीन हो जाता। 

कवयित्री। .adv अर्चना गोन्नाड़े ,ADV.Archana  Gonnade    


 







बुढ़ापा आया तो क्या ,  मन तो अभी हरा है। ..  


 



 



 












Sunday 21 March 2021

कहाँ हो तुम। ..

08:51 1 Comments

 कहाँ हो तुम। ..






कहाँ हो तुम। ... 

आजकल  अपने आप से  मैं बात  कर लेती। .. 

किसीके पास इतनी फुर्सत जो मेरी बात सुने। . 

और क्यों सुने ,किसीसे क्या रिश्ता मेरा ,किसीसे क्या वास्ता। .. 

दो चार घडी बैठ ले , साथ में ऐसी किसीको फुरसत कहाँ। .. 

थोड़ी  बाते शाते हो जाये ,ठहाके लगे। .. अब तो जमाना गुजर गया। . 

फुर्सत को ही फुर्सत नहीं , कह ठहाके लगाए। .. 

भूल जाओ वो दुनिया को जब कही खाली   क्षण कटे . 

फुर्सत की  घडी में , पागल की तरहा हसे ,खुप हसे। . 

 गाड़ी पर बैठके घूमना ,चार घंटे गप्पे लड़ना , अब कहाँ फुर्सत 

खो गए सारे साथी कही। .. कहा  है  घड़ीभर फुर्सत कहाँ। . 

रिस्तेदारी निभाओ तो गुन्हा ,न निभाओ तो भी गुन्हा। .. 

रिश्ते से रिश्ता नं रहा ,कोई रिश्तेदार क्या कहना। .. 

भूल चुक ,माफ़ी माँगो ,फिर भी रिश्ता कोई पत्थर दिल सा। .. 

दरयादिल की रिश्तेदारी बस अब किसीसे क्या करना। .. 

एकाग्र बैठे तो ,होता कुछ पीछे मुड़कर देखना। .. 

कहा है फ़ुरसतें किसीको , सब उलझे हुए लगते है। .. 

प्रभु भी अब  समय का तकाजा देते। .https://kittydiaries.com/blogs/ 

फुर्सत नहीं है मेरे पास ,अनसुना कर देते। .. 

 रिश्ते तुमने बनाये भगवन ,तुम थोड़ी फुर्सतत निकालो। . 

क्या हो रहा दुनिया में ,तुम भी तो  जरा ऑंखें खोलो। . 

तुम्हे भी तो  पता चले  ,सच्चा रिश्ता क्या है।   ओर कौन है झूठा। .. 

नासमझ हो भगवन तो  क्या है रिश्ता तुमका हमसे। .. 

फुर्सत मिले तो आ जाओ  ,जरा आ जाओ ,

 हम  साथ बैठकर फिर कही हमतुम जरा हस  लेते। .. 

जरा  जरासी  फुर्सत में हो तुम, मासूम सा रो लेते। .. 

थपकिया तुम्हारी, मेरी आँखों में नींद भर देते। . 

तुम्हारी ही गोद में हम जरा सो लेते। ...https://kittydiaries.com/blogs/

फिर  यदि ऑंखें खुली तो बार बार ठहाके लगातें। . 

आओ भगवान फुर्सत में। .. थोड़ा थोड़ा हसं लेतें।https://kittydiaries.com/blogs/

कवयित्री। .. adv अर्चना गोन्नाड़े 

adv. archana gonnade कहाँ हो तुम। .. 





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Tuesday 16 March 2021

आयो बसंत राजा रे । ....

07:36 0 Comments


आयो बसंत राजा रे । ......




आयो बसंत राजा रे । ....  

वसंत ऋतु का आगमन ,मनविभोर होता। 

स्वागत तो हर ऋतु का होता ,पर वसंत तो ऋतुओंका राजा। . 

खास पेशकश होती है राजा की ,,बड़ी मेहमाननवाजी होती है। 

ऋतुओंका राजाजी बसंत, गीत गाते आता ,हौले हौले गुंजन करते आता। https://kittydiaries.com/

बसंत ऋतु से सभी को प्यार , सब उसीका इंतजार  करते 

कोयलिया जब गाने लगे तब  मानो ऋतुराज बसंत के आगमन हो रहा। . 

आम्रवृक्ष मोहर से खिलने लगे  ओर   बसंत के आगमन से कोयलिया गाने  लगे। .. 

छोटी छोटी सी नाजुक नाजुक नाजुक  सी  दो दो पाती आसमां में पंख लिए लहराती 

नवचैतन्य जागता रूखे सुखे पेड़ोंपर , रूठे हुए पेड़ोंको इंतजार रहता बसंत राजा का। .. 

भारी नजाकत है बसंत की बहार में। नईनवेली कलियाँ  पौधोंपर खिलती। ..

वो नाटी  छोटी पत्तियाँ जैसे पंख पसारे  है...

 धुप में तप्ता पलाश भी ---वहाँ  भी फूल खिले है। ...  

 सारे रंग रंग विधाता ने उंडेल दिए है , लय है इन सारे रंगों में। .. 

गुलाबी ,केसरिया ,हरा ,पीला ओर उसके रंगोंकी  कितने  विभिन्न छटाएँ। .. 

नजर पड़े तो कामदेव के तीर चले। फूलोंके ,बहारोंके तीर चले। .. 

 प्रीति  तो  स्वाभविक है। ..कोई ललना क्यों नं घायल होए। .. 

वसंत का उत्सव तो सारी सृष्टी उत्सव का  है ,https://kittydiaries.com/

नवपरिणीत दुल्हन सी धरा सजती है ,शर्माती है। .. रंग रंग के वस्त्र सजाती 

नए नए हरे हरे इठलाते पत्ते  पवन पर गुदगुदाते। . 

सृष्टि को इंतजार अपने प्रियतम का , बहोत झुलसा दिया है ,

भारी हो गयी अब ,बोझल हो गयी अब भावनाएं। .. 

कुछ अतरंग की अव्यक्त सी रह गयी भावभावनाये। . 

बसंत तो  बहार है ,उन्हें कैसे रोके ,ये तो अंतर्मन है बसंत का। . 

उमड़ना होगा ही न अंतर्मनसे ,हौले हौले फूलना होता है वह अंतर्मन का 

बसंत  व्यक्त होता है। ..रंग बिरंगी अंदाज से ,छन्दोंसे ,गंधोंसे रंगोंसे।।। 

भमर के मधुर गुंजनसे , गुनगुनाती  रूह से, भीनीभीनी गंधोंसे 

 काली कोयल है , रूप का क्या ,कैसे झलकती है  मीठी मधुर वाणी।।

संगीत  की ध्वनि ओर मधुरिम ध्वनि  की धनी ,कोयलिया मेरी।

साँसे गुंजन करती  कहाँ हो तुम ,कहा हो तुम ,कुहू कुहू। .. 

खुशबू आम्रतरु की ,सांसे भी सांस लिए है। ..राजाजी बसंत ,मत रोको तुम अपने आप 

उमड़ जाओ ,लहर र जाओ ,बहर जाओ , व्यक्त हो जाओ। .. 

बस तुम आ जाओ ,तुम आ जाओ। ..

आ जाओ , हे बसंत। https://kittydiaries.com/.. 

कवयित्री। .. ADV. अर्चना गोन्नाड़े archana gonnade 

आयो बसंत राजा रे । ....

आयो बसंत राजा रे । ...

 

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Saturday 6 March 2021

MENSTRAL CUPS ...Silicone Magic i

21:10 1 Comments

 MENSTRAL CUPS  ...

Silicone Magic 





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  MENSTRAL CUPS  ...
Silicone Magic 

अगं आई ,बघ आजकाल किती सुसह्य झालायं मेन्स्ट्रल पिरियड्स ...

काहीचं झंझट राहिली नाही आता .. अगदी आराम चार दिवस  

कसं काय ? म्हणजे काय .. काही सांगशील का ? 

अगं पण आता तुला उपयोगाचं नाही  सांगुन .. .. 

अगं तु  सांग तर ,मला उपयोग नाही  ते खरयं https://kittydiaries.com/

पण मला कुणाला  शेअर करता येईल ,सांगता येईल ... बोलता येईल .. 

त्यांना तर उपयॊग होईल ना ,त्यांना तर समजेल ना ... 

मुलींनी आई जवळ शेअर केलेल  हे मॅजिक ,तुम्हाला सांगत्ये.. 

पण त्या आधी थोडं मागे वळून बघू या  का ?

मासिक पाळी ... स्त्रीत्वाचा अलंकार 

पहिली बेटी धनाची पेटी ... जन्मतःच  मुलीचं स्वागत केल्या जातं ... 

खरंच आनंद होतो लेक झाली की ... छोटी छोटी पावलं टाकतं  लेक मोठी होते .. 

शरीर आकार घ्यायला लागते ... लेक फुलून येतं ... 

यौवनातं पदार्पण होते ,लेक सुंदर दिसायला लागते .. 

आई डोळ्यातं तेल घालुन लेकीची काळजी वाहत असते ... 

बाप ही त्याची ही  हिरकणी जपुन असतो ... कुणाची नजर नं पडो .. 

स्त्रीत्वाचं देणं असतं ते निसर्गदत्त ... मुलगी वयात येते .. 

लेकीला ऋतुचक्र सुरु झालं ... काळजी वाढली आईबापाची .. 

काय काय सोसावं लागतं हो ह्या मासिक ऋतुचक्रातं ...

पोटातला शुळ अस्सा कि गडबडा लोळायला होतं  

मग गरम पाण्याच्या बॉटल ,पिशवी यांचा शेक ... 

बरंच नाही वाटलं तर अजून गोळ्या घ्या ... गोळ्या घ्यायलाही मनाई ... 

पुढे आई होतांना दुष्परिणाम नको व्हायला ... असा सगळं खडतर प्रवास .. 

खरी गोची व्हायची ती अंतर्वस्त्र बदलायची ... 

सुरवातीला  आईच्या साड्यांचे नरम कपडे वापरायचे पॅड म्हणुन ...

किंवा जाड टर्किश टॉवेल छोटे तुकडे कापुन पॅड म्हणून वापरायचे ..  

प्रत्येक वेळेला ते  स्वच्छ धुऊन उन्हातं वळवून ठेऊन पुढच्या वेळेला वापरायचे .. 

वाळायला उन्हातं टाकायचे म्हणजे कुठल्या साडीखाली किंवा त्यावर परत कापड झाकायचे .. 

इतकी लाज , तीन दिवस घरातं वावरायचे नाही ..आंतल्या खोलींत गपगुमानं बसायचं    

तीन दिवसांनी मग  डोक्यावरून स्वच्छ न्हाणं ... 

मग सुटका पुढच्या पाळीपर्यंत .. अठ्ठावीस दिवस  आराम ...

 देवचं आठवायचा ..पांडुरंगा युगे अठ्ठावीस उभा .. 

हे सारं ज्या पिढीने सोसलयं  त्यांनाचं त्याची कल्पना .. 

काळानुरूप बदल घडतं गेलेतं ... सुधारणा झाल्यातं ... 

लैंगिक शिक्षण,  शिक्षणाचा भाग झालं ... मुलगा मुलगी भेद सरला ..

 मासिक पाळीच्या दिवसांचे ,स्वास्थ्य विषयक दृष्टिकोनातुनं विचार समोर आला ..   

दृकश्राव्य माध्यम आलं ..दुरसंचार संच आले ... घराघरातनं .. 

केयर फ्री च्या जाहिराती टीव्ही वर दिसु लागल्या ...https://kittydiaries.com/ 

आई बहिणी आतं निघून जायच्या जाहिरात लागली की ... 

नको त्या गोष्टी पुरुषांसमोर बघायला .. लाज वाटायची ... 

महाग पडायच्या पॅड घ्यायला ... पण बऱ्याच जणी आता त्या वापरायला लागल्या 

स्वच्छ ,सहज वापरायला सोपे ,वापरल्यावर टाकून द्यायचे .. पुन्हा नवे .. 

धुण्या वाळवण्यापासून सुटका झाली ..स्वच्छतेचे धडे दिले , आरोग्य राखल्या गेलं .. 

मग त्यांनंतर जेल पॅड आलेत .. डाग पडायची भीती नाही , सहज सोपे ... 

तरी पण पॅड बदलायला लागायचं तीन चार तासांमध्ये.. जडपणा जाणवायचा .

व्हिस्पर ,@ whisper स्टेफ्री@ stayfree  ,सारखे नवनवीन ब्रँड आलेत ..

 महिलांचं जगणं-- चार दिवसांचं सुखकर झालं ...

 एक पाऊल पुढें ,स्त्रिया टेम्पून्स वापरायला शिकल्या ... पण फार स्त्रियांनी  ते वापरलं नाहींच ..

काहींना त्रासदायक वाटायचं ते वापरायला ,अन भितीही ... . 

पण आतां तर मॅजिक गोष्ट आहे ..मॅजिक घडलयं ....  

आता  तर सॅनिटरी पॅड्स पासुन सुटकाचं झालीय .. नको ते पॅड्स पण आता .

MENUSTRAL कप्स .. नवीन आहे काहीसं .. 

कदाचित नोकरी करण्याऱ्या स्त्रीयांना  माहित असेल ही, 

पण अजुनही माहित नाही ह्या बद्दल स्त्रियांना  ...https://kittydiaries.com/ 

मेन्स्ट्रुल कप्स  जादू आहे  मॅजिक आहे ... चार दिवसांचं दुःखं जणु जाणवु नं देणारा ... 

केव्हा निघून गेलेतं चार दिवस असं कळणारं ही  .. 

सिलिकॉन कॅप्स ह्या नावाने पण हा प्रॉडक्ट  मिळतो .. 

छोट्याश्या कप सारखं असणारी हि वस्तु  ,त्या जागेमध्ये  (CERVIX  )फिट्ट बसते ...

सिलिकॉन कप्स रक्तस्त्राव शोषुन घेतं अनती जागा लॉक होते ,एक थेंब  इकडे तिकडे होत नाही .. 

दहा बारा तास काही त्रास नाही ...चढउतार करा ,धावाधाव करा ..व्यायाम करा 

हे कप्स असं म्हणा ना कि स्किन फ्रेंडली आहेत ... शरीराचा एक भाग होऊन जातात 

पुन्हा ते धुऊन ठेवलं तर पुन्हा वापरता येतातं ... आपली इच्छा पुन्हा वापरायचे किंवा नाही  .. 

एकदा  घेतले की कमीतकमी पांच वर्षपर्यंत वापरता  येतातं ...सॅनिटरी पॅड्स पेक्षा  खर्च कमी  

 लहान मोठ्या साईझ मध्ये हे उपलब्ध असतात ..आपल्याला योग्य असा निवडता येतो .. . 

पुनःसिलिकॉन  कप्स वापरण्याचे दुष्परिणाम काही नाहीत असं शास्त्रीयदृष्टया सिद्ध झालायं ..

पण वापरण्यापुर्वी  एकदा डॉक्टरांचा सल्ला अवश्य ध्यावा .. कसा वापरतातं ते समजून घ्यावे ... 

एकदा वापरायला सुरवात केली तर मग काही अडचण नाही ... 

खरंच मॅजिक आहे मेन्स्ट्रल कप्स , सिलिकॉन कप्स ,असं इतकं सोप्प झालाय आता ... 

आताच्या मुलींसाठी ,स्त्रियांसाठी तर हे वरदान चं  आहे ...

काळ बदलतो आहे .. आपणही बदलायला हवं ... नवीन बदल  स्वीकारायला हवेत ... 

आईच्च्या साडीपासुन बनविलेले सॅनिटरी पॅड्स ते प्रॉडक्ट नवीन सिलिकॉन कप्स...

 स्त्रित्वाचा मोठा पल्ला अनुभवलायं स्त्रियांनी .. खुप कळा सोसल्यातं .झळा सोसल्यांत .. 

आता घ्या नवा अनुभव सिलिसिन कप्स ,मेन्स्ट्रल कप्स वापरून ... 

@Sirona Reuseble ,@ Sanafi Resuseble,@Nirogam WeMense असे काही  ब्रँड आहेत ... 

आहे ना मॅजिक ... नवीन पिढीची ..ते  चार दिवस पण आता आनंदानी जगायचे ... 

ही पोस्ट आपल्या  ताईमाई ला , बहिणी ना ,मैत्रिणींना शेअर करा .. 

तुमच्या ओळखीतल्या , ज्यांची तुम्हाला काळजी आहे अशा व्यक्तींना शेअर करा .. 

एक सामाजिक बांधिलकी म्हणुन ...

महिला दिनाच्या २०२१   खुप खुप शुभेच्छा..https://diaryofkitty007.blogspot.com/

लेखांकन --- ADV .अर्चना गोन्नाडे 

ARCHANA GONNADEhttps://diaryofkitty007.blogspot.com

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