हमतुम---- हमतुम
हमतुम fun
lovers
cup of coffee
love bridge
हमतुम
darling sweet
हमतुम
प्यार ,मोहब्बत के धागे
कुछ अजीब से होते है. ..
उलझ उलझ कर रह जाते ,
जितना तुम सुलझातें,
एक बार जो प्यार कर गया।
जिंदगी भर आबाद हो गया ..
जमाना तो कह देता है ,चुपकेसे
क्युँ बर्बाद सा हो गया.
मेरा न कोई नियम सा है ,
तुम आगे ,मई पीछे।
मई पीछे , तुम आगे..
दस्तुर क्या निभाना है।
तुम कुछ कहो तो मई सुनु। ..
मई कहु भी, तो मई ही सुनु
हल्केसे कोई ऱस घोल दे। .
मई तो ,मई ही नं रहु।
हाय तुमने क्या कह दिया ऐसा. ..
रात दिन उन्हें दोहरातें ..
कोई गजब सी धुन है। .
हम उसपर सवार हो जाते। ..
दिल क्यों इतना उछल रहा।
कोई फरिश्ता न आया। ..
धड़कनें जो, क्यों बिखर गयीं। ..
हल्केसे से तुमने जो समेट ली. ...
तुमसे क्या क्या कहना
प्रिय तुम तो मेरे ही थे. ...
आचंल में घिरे खुदको। ..
हम तो बेशर्म मुस्कुराते थे।
तुम न पास थे ,न दुर। ..
चारों ओर तो तुम ही थे। ..
हम तो बहाना बनाये। .
क्यों चादर ओढ़े रहते थे। ..
भाती थी न रोशनी हमें । ..
उजाले में , न तुम दिखते थे। .
घने अँधेरे में तुम नजर आते। ..
दिल में, दबे पाँव रहते थे।
खुसखुसना वह बड़ा अच्छा था
खुप सहज वह खिलखिलाना। ..
मिठी मिठ्ठास अधरों पर। ..
गले लगाना ,गुनगुनाना। ..
ज़ुल्फोंको मैं खुद अपने सवरती। ..
स्पर्श बेजुबान क्यों अनुभव करती। ..
तन में ,मन में...बिन लहरती। ..
तिन तिन कर गए तुम जादुगरी।
हम तो वही है राह धरें। ..
प्रिय तुम भी मेरी राह ताकतें। ..
आओ कभी तुम हमरे द्धार। . ..
फिर मिलन की रात सजाते। ..
लिरिक्स ---एड। अर्चना गोन्नाड़े https://www.pexels.com/video/a-mother-and-daughter-bonding-moments-in-the-kitchen-3992522/
capture the pic
MOM BONDING हमतुम
eternal
forever yours हमतुम हमतुम हमतुम
together in park
हमतुम fun
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हमतुम
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हमतुम
प्यार ,मोहब्बत के धागे
कुछ अजीब से होते है. ..
उलझ उलझ कर रह जाते ,
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एक बार जो प्यार कर गया।
जिंदगी भर आबाद हो गया ..
जमाना तो कह देता है ,चुपकेसे
क्युँ बर्बाद सा हो गया.
मेरा न कोई नियम सा है ,
तुम आगे ,मई पीछे।
मई पीछे , तुम आगे..
दस्तुर क्या निभाना है।
तुम कुछ कहो तो मई सुनु। ..
मई कहु भी, तो मई ही सुनु
हल्केसे कोई ऱस घोल दे। .
मई तो ,मई ही नं रहु।
हाय तुमने क्या कह दिया ऐसा. ..
रात दिन उन्हें दोहरातें ..
कोई गजब सी धुन है। .
हम उसपर सवार हो जाते। ..
दिल क्यों इतना उछल रहा।
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धड़कनें जो, क्यों बिखर गयीं। ..
हल्केसे से तुमने जो समेट ली. ...
तुमसे क्या क्या कहना
प्रिय तुम तो मेरे ही थे. ...
आचंल में घिरे खुदको। ..
हम तो बेशर्म मुस्कुराते थे।
तुम न पास थे ,न दुर। ..
चारों ओर तो तुम ही थे। ..
हम तो बहाना बनाये। .
क्यों चादर ओढ़े रहते थे। ..
भाती थी न रोशनी हमें । ..
उजाले में , न तुम दिखते थे। .
घने अँधेरे में तुम नजर आते। ..
दिल में, दबे पाँव रहते थे।
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खुप सहज वह खिलखिलाना। ..
मिठी मिठ्ठास अधरों पर। ..
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ज़ुल्फोंको मैं खुद अपने सवरती। ..
स्पर्श बेजुबान क्यों अनुभव करती। ..
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तिन तिन कर गए तुम जादुगरी।
हम तो वही है राह धरें। ..
प्रिय तुम भी मेरी राह ताकतें। ..
आओ कभी तुम हमरे द्धार। . ..
फिर मिलन की रात सजाते। ..
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