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Tuesday 13 October 2020

स्वप्नों के परिंदे। ....

 स्वप्नों के परिंदे। ....चल रे। .... 



स्वप्नों के परिंदे। 
स्वप्नों के परिंदे। चल रे। .... 

मैं हु स्वप्न ,,, स्वप्न। ..स्वप्न 

तुम गहरी निंद सोते हो नं। ..बहोत गहरी। .. 

तब नं मैं हल्क़े से  तुम्हारी आँखों में। ... 

धी ---रे ---धी ---रे  आती हु। ... 

तुम्हे पता तक नहीं चलता ,

मै कैसेआता हु स्वप्न में। .. 

स्वप्न, तुम जो मन में संज्योते हो। .. 

वैसे ही मैं तुम्हें दिखती हु। ... 

तुम बिलकुल, जो सोचा है वो। .. 

कुछ अच्छा सोचते हो किसीके लिए 

मन में ,अंतःमन से ,सुखद। ... 

मैं सच्ची में वैसे ही पेश आती हु। .. 

तुम्हे दुःख हुआ ,बुरा देखा ,बुरा सुना ,.. 

मैं भी दुखी होती ,तुम्हे दुःख स्वप्न दिखता।।।।

मन जो बातें करते ,गुनगुनाते जो हो तुम। 

चलचित्र मैं वही , छुपा कर रखती। .. 

तुमने क्या क्या सोच रखा रखा है। .. 

उसे याद दिलाती हु मै सपने में । .. 

तुम कही भूल नं जाओ। ...

 मैं दोहराते रहती हु स्वप्न जो तुमने देखे।।।।

मई मन में तुम्हारे उड़ान भरती  हु। .. 

तुम्हे  सपनोंकी प्यारी दुनिया  अवगत कराती हु। .. 

मई क्या हु ,स्वप्न क्या है। ..https://kittydiaries.com/ 

बस ,मन की बोली है ,भाषा है 

मन धीरे धीरे संवाद करता अन्तःमन से,  

स्वप्न तो मन है। . सारे जहाँ में कितना  सुन्दर।।।

स्वप्न  हु मै , गगन,, धरा ओर संपुर्ण  ब्रम्हाण्ड।।।।

मई कही भी तुम्हे उड़ान भरा सकती हु.... 

आकाश तारे ,के समीप ले  जाऊ मई तुम्हें ?

या किसी सौरमंडल का चक्कर लगाऊं। ...

कहानियों में सुनी है। .. वह जाओगे, सप्तर्षि में 

बुढ़ीया  की खटिया पर  लेटेंगे ,तीन चोर भी देखोगे। ..

पंछिओंकि बोली बोलेंगे ,या जलचर पर हाथ फेरोगे। .

मै स्वप स्वप्न हु। ...तुम भी तो सोचैते मेरे मन से। .. 

 सपना देखु दिन में ,चारो प्रहरों मे..,रात में। . 

तुम सपना देखते हो तब तुम अचेतन होते। ..

तुम तो गहरी नींद सोए हो। ... 

तुम्हे क्या पता तुम कहाँ खोये हो।https://kittydiaries.com/  

मैं स्वप्न ,मै मन ,मैं  ह्रदय, तो जागृत रहता  ,तुम्हारे  लिए,... 

मै  निरंतर सचेत हु ,चेतना की जकड़न में ,प्यार में  ..

मै स्वप्न हु सो नहीं सकता ,मई कैसे सो सकता? .. 

स्वप्न दिखाना  ,उड़ान  भरान , मेरा कर्तव्य।

अपना कर्त्तव्य मैं कैसे भूलू ,कैसे मुकर जाऊ ?..

परिंदों को पंख लगाना,  ऊँचे खुल्ले आसमां को छुना।

.चलो उठो ,स्वप्न देखो ,उड़ान  भरो , 

स्वप्न  अपना, अपना लो ,पुरा  करो  

कोई परिंदा तुम भी बन जाओ...

स्वप्नों  की उड़ान लेकर। .. 

स्वप्न ,मै  स्वप्न ,मैं स्वप्न।  

रचना /लेखांकन ADV अर्चना गोन्नाड़े --ARCHANA GONNADE https://kittydiaries.com/





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