माँ चैतन्यमयी --- षष्ठम कात्यायनी ----- नवरात्री ---६
या देवी सर्वभूतेषु चेतनेत्यभि-धीयते।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
मैया ,तुम सिहासनरूढ़ि ,तुम्हारे चरणकमलों ने प्रणाम। ...
पंचारती से आरती मैं करू ,पंचप्राणोमें तुम समायी हो मैया।।।
रंगबिरंगी पुष्पोंसे सिंहासन सजाऊ ,माला जपु ,
मीठा मीठा भोग लगाऊ। ... बस सुकून है मन में। ..
मन लगा है तुम्हारे पास , तुम्हार साथ। ..
मन भी क्या है ? अंतर्मन क्या है ?
मन ही आत्मा है या अंतर्मन आत्मा है ?
मैं कहती कभी मेरा मन नहीं आज किसी काम में। ...
खाने में मन नहीं ,सोने में मन नहीं। .
उठाना बैठना ,बोलचाल बंद ,या मंद गतिःसे हो रा। ..
तौर तरीके बदल जाते काम करनेके ,बेचैनी सी होती। ...
बस कुछ नहीं चाहिए मुझे। ...
हम कही दुर एकांत में जाकर बैठे जाते। ..
कही निसर्गसनिध्य में या फिर मंदिर में। ..
चरणों में शरणागत होते माँ तेरे।।।। .
कुछ पल बिताये तुम्हारे साथ। .
कुछ धीरज आता है , सुकून लौट आता , आनंद होता। ..
मन फिर अपनी जगह लौट आता ,
मन अपनी दुनिया में ख़ुशी ख़ुशी लौटता है
क्या यही है आत्मा जो आनंद अपने साथ लिए घूमती है। ..
बे मन से हम कैसे जियेंगे ,.आत्मा से कैसे जुदाई
हम तो जिन्दा लाश बनकर रहेंगे।।अचेतन। ...
फिर ओर चेतना क्या है ?
तेरे आराधना से हम सफल हो जाये आत्मा में डुबकी लगाना। ..
हमसे शायद नं संभाले इतना बोझ आत्मविभोर होनेका। ..
चेतना आत्म स्फुल्लिंग है ....शरीर अचेतन नं होने दे। ..
चेतना आनंद है ....... चैतन्यमयी है...
चेतना भाव है। .... भाव का बहाव चैतन्य है। ..
चेतना रास है। .... आत्मा की आरास सजनी है
चेतना रस है। .. रसविभोर होना है। ..लगता ऐसा क्या हो मन फिर दौड़ने
चेतना स्फुल्लिंग है। ... हर प्राणिमात्राओं में। ..
आत्मा चेतित रहना ,मन जीवित रहना ही चेतना है
तुम हो मैया हर मनुज सहित सब प्राणिमात्राओंमे।।।।
चैतन्य के अधिकारी ,चैतन्य जगाये माँ। ...
बिन तुम्हारी इच्छा से कोई चिटी भी नं हिल सके.
बिन तुम्हारे कौन सवारे ये जिवजगत।।।।।
आज विज्ञान की बात होती है। ......
नया नया संशोधन है हो रहा। ...
अंगप्रत्यारोपण की शस्त्रक्रियाएँ हो रही। ..
शरीर के बहुतांश अंग आज विज्ञानं द्वारा उपलब्ध है। ..
रक्तदाता है ,मौसदाता ,आंखे दान की जाती। .
हाथ ,पैर ओर विविध अंगोंकी उपलब्धता है। ..
मानव चैन से जी सके। ..मरण की आशंका थोड़ी कम हो गयी। ...
अगर माँ सब अंगोंको जोड़ लिया वैज्ञानिक तरीके से
तो क्या हम मानव निर्मिति होगी ?
वो तो चेतना रहित होगा,चैतन्य कौन भरेगा माँ
प्राण को डालेगा , प्राण कौन स्थापित करेगा। ...
साँस कौन देगा ,साँस कौन कौन देगा। ..
तुम्हारा कार्य तो तुम ही करोगी नं माँ। ...
ओर कोई कौन कर सकता माँ तुम्हे कार्य
समस्त मानवोंमे भूतजगत में।तुम ही जान बसाओगी नं..
बहोत तरक्की कर ली विज्ञानं ने। ...
सभी सब्जीभाजी छोटी छोटी आती थी। ...
आजकल मोटी मोटी आती....
एक फुट का मुला गाजर देखे मैं। ...
दो चार किलो की एक गोभी, तरबूजा ,खरबुजा। ..
क्या कैसे तरक्की खाद डालके ,मिलावट करके। ...
लेकिन माँ विज्ञानं ने कितनी भी ऊंचाई पर हो। ..
माँ के गर्भ से चार छे फुट का बालक अभी पैदा नहीं हुआ। ..
क्या ये संभव होगा माँ कभी ? .../kittydiaries.com
कहा आत्मज्ञान कहा विज्ञानं। ..
बालक तो नन्हा मुन्ना ही होगा। जो तुम देती से अंतस्थ प्रेरणा से...
उज्वल करती हो माथा ,उज्वल करती हो भविष्य मानवजातिका।।।
शरीर के कण कमाँ ण में तुम बसै ही माँ। ..
चेतना तो अन्तःप्रेरणा है। .. सदैव जागृत रखो माँ तुम....
चेतना जाज्वल्य ज्योति है। ... सदैव प्रकाश रखो माँ तुम..
चेतना आत्मग्लानि भी है। .. थोड़ा तुम में समां जाऊ माँ
प्रवाह है ,धारा है। ... बहती रखो माँ आशीष की गंगा
या देवी सर्वभूतेषु चेतनेत्यभि-धीयते।/kittydiaries.com
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
षष्ठम कात्यायनी। ...
माँ कात्यायनी को प्रणाम ,साष्टांग दंडवत। ...
शुभं भवतु। ...
लेखांकन ---adv अर्चना गोन्नाड़े ,archanagonnade------------------------------------------------------
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