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Friday, 2 October 2020

कितनी सुन्दर हो तुम। ...... गुलाबो। ..

कितनी सुन्दर हो तुम। ...... गुलाबो। ..

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कितनी सुंदर  हो तुम। ...... गुलाबो। ..

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गुलाब की कलियों सी तुम। . 

सुन्दर  सुकुमार,अपने में सिमटी हुई। .. 

डालियों पर  तुम सजी हो ,

अभी तो कच्ची  कच्ची  धुप हो। .. 

कितनी सुंदर लगती  हो तुम। ..

कितनी प्यारी  हो लगती तुम  

लालिम रश्मि  ठहरें तुम पर।https://kittydiaries.com/ .. 

तुम  हो नूरी सी  भाती  हो। 

मन कैसे लुभाती हो तुम। ..

भोली भाली सी  तुम हो.

कोई भी मोहित तो तुमपर  

परिवर्तन तो प्रकृति का नियम  है। .. 

तुम भी तो प्रकृति हो, परिवर्तन सहज भाव। .. 

गुलाब हो  तुम अब , गुलाबी धडकन। .. 

पुर्णरूपेण तुम खिली हो।  कितनी सुंदर हो तुम.

पेड़ों भी खिल उठे है ,डलिया भी चहक रही। .. 

तुम सा गुलाब पाकर देखो क्यों अचंभित सी रह गयी।

मुलायम नाजुक पंखुडिया गुलाबी ।

 कणकण बांध रखा है। ... 

मुलायम  स्पर्श तुम्हारा मलमल सा  .

अमृतसिंचन से है भीग रहा।  ...  

सुकोमल स्पर्श गुलाबो , स्वप्नपरी 

कली कोमल कच्ची , मृदुल पाती झिलझिलाती 

चुभती काटो की महफ़िल मेँ गुलाबो 

गुलाबो ,रहो न  ऐसे  सजीधजी।

गुल गुलाबो शर्माओ नं , है लालिम लज्जा  

डालियाँ पर लहराती तुम ,मन मोह लेती तुम 

पवन गुदगुदाये गुलाबो ,खुलकर तो जिओ तुम.... 

अस्पर्श रूप गुलाबो ,कितनी सुंदर हो तुम

गुल गुलाबो और गुलशन 

प्रतिबिंब तुम हो प्रकृति का।

चित्र हो तुम सादगी का https://kittydiaries.com/

व्यक्त अव्यक्त सपनोंका 

कितनी सुन्दर हो तुम। ...... गुलाबो। .. 

रचना --adv .अर्चना गोन्नाडे archana 


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