आओ माँ महिषासुरमर्दिनी------
तृतीयम चंद्रघण्टेति -----नवरात्री---३
आओ माँ महिषासुरमर्दिनी------
तृतीयम चंद्रघण्टेति -----नवरात्री---३
या देवी सर्वभूतेषु शांति-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
आज फिर नमन करतीiमाँ मैं । . ह्रदय से। .
साष्टांग दंडवत। ..
तुम्हारा सुन्दर रूप माँ मन में बस गया। ..
निरन्तर मै पुजा करू पठन करू ....
तुम्हारे पूजन से मन भक्तिमय होता। .
भक्तिभाव जागृत होता ....
मन मेँ , भक्ति के तरंग लहराए
अंतरंग कैसे पहचाने बाहरी तरंग। ..
तादात्म्य जब हो तुमसे ,अंतरंग तरंगों में बहनें लगे...
या फिर तरंगों मेँ अंतरंग बहाने लगे। ...
मै तो कुछ समाज न पाऊ। ...
एक साँस एक लय शब्द में , स्वरों में ,,,,
कही तो एकाकार है हम। ..
कितनी शांति महसुस कराती माँ तेरे पूजन में। ..
मन में शांति है --- सारा जगत में शांति महसुस होती। ..
शांति के पीछे चलते सुख --- घर परिवार सुखी लगता
समाधान समृद्धि भी शांति का हाथ पकड़ती। .. मेरे घर आती।
लेकिन तुम्हारी निर्मिति मानव ,मनुज ने तो
सारा कोलाहल मचा रखा है जगत मेंhttps://kittydiaries.com/
कहा सुकून किसीको। ..चैन है कैसी। ..
धर्म के नाम पर अधर्म चल रहा। ..विडम्बना दिखती
जात पात ,. रंग भेद वर्ण भेद ओर कितने भेदाभेद। ..
ओर कितने महायुद्ध होंगे। ..पहला महायुद्धा ,दुसरा महायुद्धा
कोरोना का भी महायुद्ध हुआ। ..कितना मानव संहार हुआ
इंसान की लालच ने कितनों की जान ली। ..
इंसान का दुश्मन बन रहा इंसान।। जहर उगल रहा। ..
कोई किसीकी फ़िक्र नहीं। ... सुख है चैन है ,पैसा है
लेकिन का स्त्रोत है इन सुख का। ...चकाचौंध।।।।
आँखों की रोशनी उड़ा दे ,कुछ नजर न आये
ऐसा चकाचौंध सुख समृद्धि क्या करना ?
सबकुछ होते हुए भी शांति तो नजर नहीं आती। .
.चैन सुकून तो नजर नहीं आता। ...
सब होड़ में लगे है ,एकदुसरे से स्पर्धा करनेकी
मन भयभीत सा रहता है। अगले क्षण कुछ अनहोनी नं घट जाए
तुम शांति स्वरुप हो माँ। .. शांति तो मन का लगाव है। ..
शांति तो प्रेम से होती है। ..
शांति तो महसुस करने की भावना है। ..
शांति तो मन का उजाला है
शांति तो रोशनी है मन की ,एहसास की बात है। ..
शांति तो दिल की गहराई है। .. कहा नापे कहा तोले। ..
तुम माँ हो , दिल की गहराई किसने नापी है ?
शांति सत्यम शिवम् सुंदरम है। ... सारे जगत मेँ व्याप्त। ..
माँ तुम शांति स्वरुप हो माँ। .https://kittydiaries.com/.
सारा जगत राक्षसोँके के कोलाहल में व्याप्त है। ..
फिर धारण करो माँ ,महिषासुरमर्दिनि का अवतार। ...
खड्ग चलाओ ,संहार करो एक बार फिर राक्षसोंका। ..
शांति होंगी तो तेरे ही चरणों पर हम लीन होंगे माँ। ..
सभी प्राणिमात्राओं में शांति स्थित है नं । ....
हर घर शान्ति प्रस्थापित करो यही याचना प्रार्थना माँ....
हम याचक, कोई शान्तिदुत,शान्तिसन्देश ?
शिष झुकाये हम है , आशिष रखना माँ। ..
माँ चंद्रघंटा को नमन ,साष्टांग दंडवत। ..
लेखांकन ----adv अर्चना गोन्नाड़े archana gonnadehttps://kittydiaries.com/
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https://kittydiaries.com ---- मेरे तो गिरिधर गोपाल
..
जय मातादी
ReplyDeleteशांति तो प्रेम से ही होती है
thank you so much .... unknown you ... keep reading my blogs
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