सुंदरम मेरा देश भारत, दि इंडिया।।।।
मैं एक भारतवासी हु। .. इंडिया वासी हु।
यह मेरा सौभाग्य है मैंने स्वतंत्र भारत में जनम पाया। ..
जंजीरोंमें जकड़ी हुई भारत माँ को मैंने नही देखा। ..
चिखते चिल्लाते मैंने नहीं देखा माँ भारती को।
रक्तपात होते हुए वो स्वातन्त्र संग्राम। ..
तोपो बन्दुकोंकी आवाज़ , खुप अत्याचार
मैं साक्षी नहीं हु इन घटनाओंकी। ...
हाथोंमें अंगारे लिए देश के लिए मर मिटना ,
वो शहीदोंका फांसी पर चढ़ना, हॅसते हॅसते ।।
एक बिलखती माँ को भारती माँ अपने गले लगाना ।
ऐसा किसीका जुदा हो जाना ,रोना बिलखना,गले लगाना ..
मैंने कभी अनुभव नहीं किया। मैं स्वतंत्र भारत की नागरिक हु...
स्वतत्रंता के वो गीत, झेंडा हाथ में लिए फहराना।
प्रभात फेरिया ,रग रग में स्वतंत्रता के बीज़ बोना। ..
कैसी लोग होंगे वो जिन्हीने अपने प्राण न्यौछावर कर दिए..
किस शक्ति का संचार होगा उनमें ,कैसा आवेश होंगे उनका
किस चीज से वो भारित होंगे ,किस से प्रेरित होंगे। ...
मैं कैसे इन बिते हुए कल को सच मानु। ..
क्या प्रमाण है बीती हुए क्षण का,सच्च का
कहानिया गढ़ती है ,इतिहास रचता है।
गवाह तो निकल जाते है यु ही।,अपनी निशानी बनाकर
क्या मैं एक इतिहास बना सकती हु। .
आनेवाले कल का ,पल का,क्या मैं इतिहास बन सकती ?
क्या .बिते हुए कल के इतिहास की रचित नींवपर। ..
क्या मै रच पाऊँगी आनेवाले कल का मेरे देश का इतिहास ?
गौर किजिये ,आज भी माँ भारती ,चंगुलों में फसीं है।
.मेरे ही लोगोंने बंधक बना रक्खा है ,माँ भारती को ...
रोज लुटपाट होती है ,रोज दंगे फ़साद होते है। ..
माँ बहनो की इज्जत चौराहो पर आ खड़ी है...
अत्याचार तो हर दिन क तमाशा है। ....
खबर अब खबर नहीं। सनसनाटी।।। , .
कोई खबर अब नयी ही नहीं रही। .आदत सी हो गयी। .
देश की सीमारेखाओंमें इंसान बट चुका।
खरे का मुलामा चढ़ाकर खोटा बिक रहा। ..
देशवासियों ये क्या हो रहा है ?
मैंने स्वतंत्र भारत में जनम लिया।।।
कुछ कर्तव्य है क्या मेरा माँ भारती के प्रति? ..
मैं साक्षी हु इन घृणित घटनाओंकी।
लाचार माँ बहनें तडप रही ,घुट रही
लोग ,भूखे नंगे लाचार है ,हाथोंको काम नहीं
कुछ कर्तव्य तो मेरे है ,स्वतंत्र भारत की जो नागरिक हु। .
माँ भारती को स्वतंत्र करू इन दरिंदोंसे
चोर लुटेरोंसे ,डाकुओंसे ,,, बदमाशोंसे। ..
वो बलात्कारी पशुओंसे ,मुक्त कर दु।
घिन आती नजरोंसे, बेपर्वाह स्पर्शोंसे मुक्त करू ..
फिर से सहलाऊ प्यार से माँ भारती को ..मेरे हिस्से का
समाज में माथा ऊँचा लेकर घुमनोवालो। ..
चेहरों पर मुखौटा ओढ़ने वालों। ..
तुम्हें भी नरक का रास्ता दिखा दु। ..
रहो सावधान मेरे देशवासियों ,मेरे भाईयों ,मेरे बहनो
थोड़ा अपना अपना कर्तव्य निभाओं,प्यार से
थोड़ा अपना भार उठाओ। संभल जाओ ....
माँ भारती मेरी है , भारत मेरा है ,इंडिया मेरा है .
मुक्त करो फिर एकबार हमारी माँ भारती को। .. ें
इन बेरहम लोगोंसे ,संकटोंसे ,सलखोसे ओर जंजीरों से । ..
तोड़ दो एक एक कड़ी वो जंजीरोंकी।।। जकड़न की
भारत मेरा होंगा महान ,सुजलाम,सुफलाम
स्वतंत्र ,मुक्त , आज़ाद , बंधन से मुक्त। ..
स्वस्थ भारत ,सुंदर भारत। ..
सुंदरम मेरा देश भारत , दी इंडिया। ...
जय भारत की ,जय भारती माँ की...
जयहिंद जयहिंद जयहिंद।
लेखांकन /रचना। adv अर्चना गोन्नाड़े archana gonnade
nagpur,Maharashtra,India M--9860499417
https://diaryofkitty007.blogspot.com/
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